Rudraaksh

Rudraaksh pahanane se aapako milenge ye adbhut phaayade.

रुद्राक्ष पहनने से आपको मिलेंगे ये अद्भुत फायदे

भगवान शिव का साक्षात् स्वरुप हैं रुद्राक्ष

Rudraaksh

भगवान शिव की आँखों से निकलने वाले अश्रु से जिस वृक्ष की उत्पती हुई उसी पेड़ के फल होते हैं रुद्राक्ष
प्रचलित मान्यताओं के आधार पर भगवान शिव जब घोर तप और ध्यान से जागे तो आँख खोलते ही उनकी आँख से आंसू की बून्द गिरी जिसने पृथ्वी पर पेड़ का रूप लिया और पेड़ के फल को रुद्राक्ष नाम दिया गया ।

रूद्र +अक्ष रूद्र का अर्थ भगवान शिव और अक्ष का अर्थ नेत्र यानी भगवान के नेत्र से उत्पान रुद्राक्ष या यूँ कहे भगवान शिव की तीसरी दृष्टि हैं रुद्राक्ष

श्रीमद्भागवत में बताया गया है कि त्रिपुर राक्षस को मारने के लिए भगवान की आंखें कई साल तक खुली की खुली रह गई और थकान के कारण उनसे आंसू बहे, जो रुद्राक्ष का रूप धारण करके अस्तित्‍व में आ गए।

कही उल्लेख मिलता हैं की माँ सती के वियोग में भगवान शंकर की आँखो से हुए अश्रुपात से रुद्राक्ष की उत्पाती हुए हैं

सभी कथाओं और तथ्यों में भगवान शिव से ही रुद्राक्ष उत्पन्न हुआ हैं ये सिद्ध होता हैं

रुद्राक्ष मुख्यतः पहाड़ी प्रदेशो में प्राप्त होते हैं ये एक मुखी से लेकर 14 मुखी तक प्रायः प्राप्त होते हैं
अलग-अलग मुख वाले रुद्राक्ष अलग-अलग देवताओं को समर्पित हैं. हालांकि, पांच मुखी रुद्राक्ष को कोई भी धारण कर सकता है.
रुद्राक्ष जहाँ भक्ति और शक्ति का समन्वय हैं वही ग्रहो को भी नियंत्रित कर ऊर्जाओ को संतुलित करता हैं रुद्राक्ष

एक मुखी रुद्राक्ष

इस प्रकार के रुद्राक्ष सूर्य की ऊर्जा को नियंत्रित करते हैं
इसे धारण करने से मान सम्मान में वृद्धि सरकारी तंत्र से सहजता मिलती हैं वही हृदय रोग, नेत्र रोग, सिर दर्द का कष्ट दूर होता है। चेतना का द्वार खुलता है, मन विकार रहित होता है और भय मुक्त रहता है।

Rudraksha shiv
स्‍वामी ग्रह- सूर्य
ईष्‍ट देवता- भगवान शिव
राशि -सिंह राशि
मंत्र  – ऊं ह्रीं नम:
एक मुखी रुद्राक्ष अर्ध चंद्र आकर का होता हैं इसे प्रभात बेला में गंगा जल अर्पित कर भगवान शिव के पूजन के बाद चन्दन अर्पित के “ऊं ह्रीं नम: ” का 108बार जाप कर रेशम या ऊन के धागे में पहनना चाहिए.

दो मुखी रुद्राक्ष

2 Mukhi Rudraksha

भगवान शिव और माँ पार्वती का संयुक्त स्वरूप माना जाता है। शिव और शक्ति का अनूठा संयोग
चंद्र ग्रह को मजबूत करता है

ये मनोबल को बढ़ा कर सांसारिक सुख प्रदान करता है। भावनात्मक स्थिरता देते हुए संबंधों में मधुरता और जीवन को सकारात्मकता प्रदान करता है। इसे धारण करने से मनुष्य फेफड़े, गुर्दे, वायु और आंख के रोगों से बचता है। यह माता-पिता के लिए भी शुभ होता है।
स्‍वामी ग्रह – चंद्रमा
ईष्‍ट देवता – भगवान शिव
राशि – कर्क राशि
मंत्र – ऊं नम:
इसे धारण करने का मंत्र है ‘ॐ नमः’

 

इस को धारण करने से जीवन के लक्ष्य को समझने में आसानी होती है साथ ही सफलता प्राप्त करने में आ रही बाधाएं खत्म होती हैं।
जिन के विवाह होने में परेशानी ,दाम्पत्य सुख या संतान सुख की कमी हो उन्हें दोमुखी रुद्राक्ष जरूर धारण करना चहिये।

Scroll to Top
× How can I help you?