इन्होंने ही बार्हस्पत्य सूत्र की रचना की थी। इनका वर्ण सुवर्ण या पीला माना जाता है और इनके पास दण्ड, कमल और जपमाला रहती है
देवगुरु बृहस्पति शुभ और सात्विक ग्रह है जो ज्ञान, संतान, शिक्षा, धार्मिक कार्य, धन, दान, पुण्य, और वृद्धि के कारक माने जाते है
देव गुरु बृहस्पति धनु राशि और मीन राशि के स्वामी हैं। बृहस्पति ग्रह कर्क राशी में उच्च भाव में रहते है और मकर राशि में नीच भाव का योग बनाते है। सूर्य चंद्रमा और मंगल ग्रह बृहस्पति ग्रह के लिए मित्र ग्रह है, बुध शत्रु है और शनि तटस्थ है। बृहस्पति के तीन नक्षत्र पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वा भाद्रपद होते हैं।
तत्वों मे बृहस्पति देव आकाश तत्व का प्रतिनिधित्व करते है इस कारण व्यापक और विराट प्रभाव प्रदान करते है,
पीला रंग, स्वर्ण धातु, पीला रत्न पुखराज एवं पीला नीलम, शीत ऋतु (हिम), पूर्व दिशा, पर अधिकार रखते है
बृहस्पति के कारकत्व
बृहस्पति को ज्ञान का कारक माना जाता है.
बृहस्पति को मंत्रणा का कारक माना जाता है.
बृहस्पति को विवाह और संतान का कारक माना जाता है.
बृहस्पति को धर्म, कानून, और कोष (बैंक) से जुड़े कामों का कारक माना जाता है.
बृहस्पति को संस्कारों का कारक माना जाता है.
बृहस्पति को पीले रंग, स्वर्ण, और वित्त का कारक माना जाता है.
बृहस्पति को शरीर में पाचन तंत्र, मेदा, और आयु की अवधि का कारक माना जाता है.
बृहस्पति का कमजोर होना देता है जीवन में यह समस्याएं
जीवन मे जीवन में धर्म के प्रति अरुचि भगवान के प्रति आस्था में कमी
जीवन में अध्ययन और शिक्षा को लेकर अच्छे परिणाम न मिल पाना आर्थिक स्थिति कमजोर होना
विवाह में विलंब होना व दांपत्य जीवन मैं परेशानी आना,
व्यक्ति का पाचन तंत्र कमजोर होना मोटापा, डायबिटीज वह लीवर और कैंसर संबंधी परेशानियां आना
संतान प्राप्ति मे दिक्क़त और परेशानी
अगर बृहस्पति देव जैन पत्रिका में शुभ प्रभावों से युक्त या केंद्र में सुप्रभागों के साथ विराजमान हो तो इन इन परिस्थितियों और परेशानियों में न्यूनता आती है
वही शुभ बृहस्पति की स्थिति जीवन में विस्तार आर्थिक पक्ष को मजबूत वह सांसारिक और व्यवहारिक रिश्तो को मजबूत करती है
उच्च शिक्षा व उच्च पद प्राप्त करती है विवाह और संतान प्राप्ति में सहजता रहती है प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होने के कारण रोगों की भी न्यूनता रहती है
बृहस्पति ग्रह की शुभता बढ़ाने के लिए बुजुर्गों और शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए|
अध्ययन और विद्यार्जन का अभ्यास रखना चाहिए, देवालय जाना वह धार्मिक कार्यों से जुड़ने से भी बृहस्पति देव की कृपा प्राप्त होती है
सप्ताह में बृहस्पतिवार का व्रत रखने से भी जैन पत्रिका में बृहस्पति के ग्रह दोष समाप्त होते हैं
बृहस्पति देव को प्रसन्न करने के लिए केले की पूजा विष्णु मित्रों का जाप और विष्णु सहस्त्रनाम का भी करना श्रेष्ठ रहता है जैन पत्रिका के आधार में बृहस्पति ग्रह की प्रबलता के लिए पीला पुखराज भी धारण किया जाता है, बृहस्पति अगर कमजोर और मारक प्रभाव दे रहे हो तो नियमित पीली हल्दी डालकर सूर्य देव को अर्ध दें
पीली वस्तुओं का दान करें (पीले वस्त्र गुण हल्दी चने की दाल और धन)