वेद धर्मग्रंथ है तो पुराण इतिहास ग्रंथ।

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वेद प्राचीनतम हिंदू ग्रंथ हैं वेद शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के ‘विद्’ धातु से हुई है। विद् का अर्थ है जानना या ज्ञानार्जन, इसलिये वेद को “ज्ञान का ग्रंथ कहा जा सकता है। भारतीय मान्यता के अनुसार ज्ञान शाश्वत है अर्थात् सृष्टि की रचना के पूर्व भी ज्ञान था एवं सृष्टि के विनाश के पश्चात् भी ज्ञान ही शेष रह जायेगा।

वेद और पुराण

पुराण
वाल्मीकि रामायण, पुराण और स्मृति ग्रंथ को धर्मग्रंथ नहीं माना जाता है। ये सभी इतिहास और व्यवस्था के ग्रंथ हैं।
हिन्दू धर्म के एकमात्र धर्मग्रंथ है वेद।ये चार भागों में विभक्त है।

ब्रह्म जी द्वारा जो ज्ञान ऋषियों को सुनाया गया वह वेद है । और ब्रह्मा जी के मुख से निकले वाक्यो को श्रुति कहाँ गया। यानी वेद श्रुति से भरा है ।

वेदों के 4 भाग हैं- ऋग, यजु, साम और अथर्व। इन वेदों के अंतिम भाग या तत्वज्ञान को उपनिषद और वेदांत कहते हैं। इसमें ईश्वर संबंधी बातों का उल्लेख मिलता है। उपनिषद या वेदांत को ही भगवान कृष्ण ने संक्षिप्त रूप में अर्जुन को कहा जिसे गीता कहते हैं। आम जनता द्वारा वेदों को पढ़ना और समझना संभव नहीं हो पाता इसलिए प्रत्येक हिन्दू को गीता पर आधारित ज्ञान या नियम को ही मानना चाहिए। गीता वेदों का संपूर्ण निचोड़ है।

 

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