surya shani yuti 3 house

सूर्य शनि की युति तृतीय भाव मे – सूर्य शनि की युति के प्रभाव प्रत्येक भाव से सूर्य शनि की युति एक महत्वपूर्ण युक्ति है

सूर्य शनि की युति तृतीय भाव मे

सूर्य शनि की युति के प्रभाव प्रत्येक भाव से सूर्य शनि की युति एक महत्वपूर्ण युति है इस युति के प्रभाव से व्यक्ति के के जीवन में आने वाली अधिकांश घटनाएं प्रभावित होती है क्योंकि दोनों ही ग्रह जीवन यापन के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रभावी और उपयोगी है

Surya Shani Yuti
आत्मा के कारक सूर्य जहां आपकी आत्मशक्ति स्वाभिमान निरोगी काया देते हैं वही कर्म प्रधान शनिदेव आपके कर्म, कार्य की प्रति आपकी समर्पण, कार्य क्षमताओं के के साथ जीवन के संघर्ष को दिखलाता है
वही शनि और सूर्य की अच्छी स्थिति जीवन के हर लक्ष्य को पूर्ण करती है साथ में धर्म परायणता और लक्ष्य के प्रति समर्पण भी देती है
सूर्य और शनि जितने कम अंशु पर एक दूसरे से विराजमान होते हैं उतनी ही युति प्रबल होती है और और शनि की युति का का प्रभाव अलग-अलग पड़ता है
समानता और और शनि की युति से कुछ विशेष प्रभाव जीवन में देखने को मिलते हैं
सूर्य-शनि की युति के सामान्य प्रभाव
दुर्लभ संयोग माना जाता है, इसके चलते जीवन में तनाव, क्रोध, सम्बन्धो मे उतार चढ़ाव खास कर पिता पुत्र के आपसी सम्बन्धो मे,
पारिवारिक तनाव, स्वास्थ्य समस्या, और आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ता है
सूर्य शनि की युति शारीरिक विकारों
जन्म पत्रिका में सूर्य शनि की युति शारीरिक विकारों को भी बढ़ती है
शारीरिक कमजोरी और दर्द, घुटने या पैर सम्बन्धी दिक्क़ते , दांत या त्वचा रोग, फ्रैक्चर, मांसपेशियों के रोग, लकवा, बहरापन, खांसी, दमा, अपच, तंत्रिका विकार

तृतीय भाव में सूर्य शनि की युति

तृतीय भाव में सूर्य और शनि की युति अधिक प्रभावशील होती है, तृतीय भाव यानी कि हमारे पराक्रम का भाव हम अपने कर्म को लेकर कितना संजीदा है कितना प्रयास रत है अपने कामो मे, जब सूर्य और शनि तीसरे भाव में विराजमान होते हैं, तो इस युति के प्रभाव से व्यक्ति स्वभाव वश अधिक आक्रोश और जल्दी अपने मान सम्मान को हर बाते से जोड़ लेते है उच्च महत्वकांशाये रहती है, और भावो की अपेक्षा तृतीय भाव में सूर्य शनि की युति अच्छे परिणाम देती है

यह युति व्यक्ति को शीर्ष तक ले जाने में मदद करती है जुझारू प्रवृत्ति देती है वही जो लोग राजनीति के क्षेत्र में आगे जाना चाहते हैं उनके लिए भी यह युति सहयोग प्रदान करती है तृतीय भाव में सूर्य शनि की युति संबंधों के लिए आज से थोड़ी कमजोर होती है पारिवारिक संबंधों को लेकर निश्चित तौर पर ऐसे लोगों को उतार-चढ़ाव मिलते ही हैं
ऐसी व्यक्ति अगर अपने जीवन में योग साधना और व्याम को प्रधानता देते हैं तो निश्चित तौर पर इस युति के बहुत अच्छे परिणाम उन्हें जीवन में मिल सकते हैं
पर इस युति के विषम परिणाम स्वरूप, बात-बात पर विवादों में उलझना, विषाद में घरने और अपने लक्ष्य के प्रति उदासीन रहने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है

तृतीय भाव में सूर्य शनि की युति के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए नियमित हनुमान चालीसा का पाठ और सूर्य देव को अर्ध देना आरंभ करना चाहिए,
स्वास्थ्य के लिहाज से भी यह युति रक्त संबंधी समस्याएं स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दे सकती है

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