चतुर्थ भाव मे -सूर्य शनि की युति
जीवन मे उम्र से पहले ही, जिम्मेदार बना देती है ये युति आर्थिक पक्ष को मजबूत करने, धन लाभ के लिए आलास्य और नकारात्मक सोच से दूर रहे, व्यायाम और सुबह जल्दी उठने की आदत रखे,करियर के मामले में विशेष रूप से कानून क्षेत्र या सरकारी क्षेत्र मे सफलता दिलाती है
सूर्य शनि की युक्ति के प्रभाव
सूर्य शनि की युक्ति एक महत्वपूर्ण युक्ति है इस युक्ति के प्रभाव से व्यक्ति के के जीवन में आने वाली अधिकांश घटनाएं प्रभावित होती है क्योंकि दोनों ही ग्रह जीवन यापन के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रभावी और उपयोगी है,
आत्मा के कारक सूर्य जहां आपकी आत्मशक्ति स्वाभिमान निरोगी काया देते हैं वही कर्म प्रधान शनिदेव आपके कर्म, कार्य की प्रति आपकी समर्पण, कार्य क्षमताओं के के साथ जीवन के संघर्ष को दिखलाता है
वही शनि और सूर्य की अच्छी स्थिति जीवन के हर लक्ष्य को पूर्ण करती है साथ में धर्म परायणता और लक्ष्य के प्रति समर्पण भी देती है
सूर्य और शनि जितने कम अंशु पर एक दूसरे से विराजमान होते हैं उतनी ही युक्ति प्रबल होती है और और शनि की युक्ति का का प्रभाव अलग-अलग पड़ता है
समानता और और शनि की युक्ति से कुछ विशेष प्रभाव जीवन में देखने को मिलते हैं
सूर्य-शनि की युति के सामान्य प्रभाव
दुर्लभ संयोग माना जाता है. इसके चलते जीवन में तनाव, क्रोध, सम्बन्धो मे उतार चढ़ाव खास कर पिता पुत्र के आपसी सम्बन्धो मे,
पारिवारिक तनाव, स्वास्थ्य समस्या और आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ता है
सूर्य शनि की युक्ति शारीरिक विकारों
जन्म पत्रिका में सूर्य शनि की युक्ति शारीरिक विकारों को भी बढ़ती है
शारीरिक कमजोरी और दर्द, घुटने या पैर सम्बन्धी दिक्क़ते , दांत या त्वचा रोग, फ्रैक्चर, मांसपेशियों के रोग, लकवा, बहरापन, खांसी, दमा, अपच, तंत्रिका विकार
चतुर्थ भाव में सूर्य शनि की युक्ति
सूर्य शनि की युति चतुर्थ भाव मे – चतुर्थ भाव मे सूर्य शनि की युति
जीवन मे उम्र से पहले ही, जिम्मेदारियों का अहसास करा देती है करियर के मामले में विशेष रूप से कानून क्षेत्र या सरकारी क्षेत्र मे सफलता दिलाती है ऐसे लोग किसी भी कार्य मे अपनी भागेंदारी को लेकर संजीदा होते है और उस पर महनत करते है इसी कारण निजी स्वमित्व वाले व्यवसायो को शीर्ष पर ले जाने मे सहायक होते है, अच्छे प्रबंधक और नेतृत्व का गुण होता है
वहीं यदि सूर्य नीच का है, शनि तुला राशि में है, तो अहंकार अधिक रह सकता है. या फिर कभी कभी हीन भावना प्रबल रहती है और परिवारिक क्लेश का कारण भी बन जाते है ऐसे लोग, सम्पति और सुख सुविधाओं को लेने मे बाधा बानी रहती है संघर्ष बढ़ जाता है, ऐसे मे बहुत अधिक एकाग्रता से काम करने पर ही सफलता मिलती है आर्थिक पक्ष को मजबूत करने और धन लाभ के लिए आलास्य और नकारात्मक सोच से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए और स्वाथ्य दुरुस्त रखने के लिए व्यायाम और सुबह जल्दी उठने की आदत जरूर डालनी चाहिए