सूर्य शनि की युति
सूर्य शनि की युति एक महत्वपूर्ण युति है इस युति के प्रभाव से व्यक्ति के के जीवन में आने वाली अधिकांश घटनाएं प्रभावित होती है क्योंकि दोनों ही ग्रह जीवन यापन के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रभावी और उपयोगी है,
आत्मा के कारक सूर्य जहां आपकी आत्मशक्ति स्वाभिमान निरोगी काया देते हैं वही कर्म प्रधान शनिदेव आपके कर्म, कार्य की प्रति आपकी समर्पण, कार्य क्षमताओं के के साथ जीवन के संघर्ष को दिखलाता है
वही शनि और सूर्य की अच्छी स्थिति जीवन के हर लक्ष्य को पूर्ण करती है साथ में धर्म परायणता और लक्ष्य के प्रति समर्पण भी देती है
सूर्य और शनि जितने कम अंशु पर एक दूसरे से विराजमान होते हैं उतनी ही युति प्रबल होती है और और शनि की युति का का प्रभाव अलग-अलग पड़ता है
समानता और और शनि की युति से कुछ विशेष प्रभाव जीवन में देखने को मिलते हैं
सूर्य-शनि की युति के सामान्य प्रभाव दुर्लभ संयोग माना जाता है.
इसके चलते जीवन में तनाव, क्रोध, सम्बन्धो मे उतार चढ़ाव खास कर पिता पुत्र के आपसी सम्बन्धो मे, पारिवारिक तनाव, स्वास्थ्य समस्या
और आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ता है
सूर्य शनि की युति शारीरिक विकारों जन्म पत्रिका में सूर्य शनि की युति शारीरिक विकारों को भी बढ़ाती है
शारीरिक कमजोरी और दर्द, घुटने या पैर सम्बन्धी दिक्क़ते , दांत या त्वचा रोग, फ्रैक्चर, मांसपेशियों के रोग, लकवा, बहरापन, खांसी, दमा, अपच, तंत्रिका विकार
छठे भाव मे सूर्य शनि की युति
मुख्यता छठे भाव रोग, पीड़ा और ऋण का होता है,इस भाव मे सूर्य और शनि जब भी एक साथ विराजमान होते है, तो कुछ नाकारात्मक प्रभावो मे न्यूनता आती है इसी कारण छटे भाव मे इस युति को अच्छा भी माना जाता है,
नौकरी को लेकर, प्रमोशन, सरकारी सेवाओ को लेकर अच्छे परिणाम मिलते है,और बिरोधियो को लेकर भी सकारात्मक परिणामों का अनुभव होता है, इस दौरान प्रेम जीवन भी सफल बना रहता है और जातक अपनी पसंद से विवाह करता है। अगर इस भाव में यह दोनोंं ग्रह युति करते है, तो जातक को लाभ होता है। नकारात्मक पक्ष पर, यह संयोजन जातक को एक गर्म स्वभाव और दबंग होने की प्रवृत्ति और असंतोष की भावना उत्पन्न कर सकता है।
यह संयोजन चिंता, अवसाद और अनिद्रा जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इसके अतिरिक्त, यह युति वित्तीय कठिनाइयों को भी जन्म दे सकती है। लेन देन और बैंक के कार्यो मे सजगता रखनी चाहिए