सूर्य आत्मा का कारक वहीं वही शनि कर्म के कारक है, – सूर्य और शनि की युति

Surya Shani Yuti
Surya Shani Yuti

 

सूर्य आत्मा का कारक वहीं वही शनि कर्म के कारक है जहाँ आत्मा और कर्म आत्मसार होते हैँ वही सिद्धि भी प्राप्त होती हैँ|
सूर्य शनि आपस मे पिता पुत्र के बंधन मे बंधे है, इस सम्बन्ध की मधुरता यह है की आपस मे कितनी भी कटुता क्यों ना आ जाये, ये एक दूसरे का अनिष्ठ नहीं करेंगे

सूर्य और शनि की युति
जब किसी भी राशि या जन्म पत्रिका के किसी भी भाव मे शनि और सूर्य एक साथ विराजमान हो तो इसे सूर्य शनि की युक्ति कहा जाता है
दोनों ही ग्रह गंभीर प्रभाव देनेवाले है और इन का प्रभाव भी मनुष्य की जीवन मे बहुत अधिक व्यापाक होता है.

व्यक्ति के स्वभाव पर प्रभाव
सूर्य और शनि की युति से व्यक्ति में कठोरता और कभी कभी अत्याधिक चढ़चडापन आ जाता है. अनुशाषित और जिम्मेदारी की भावना से कार्य करते है, जीवन के प्रति गंभीर दृष्टिकोण रखते है.

व्यक्ति के स्वास्थ्य पर प्रभाव
स्वास्थ्य के आधार पर विशेष रूप से मानसिक तनाव, जो पारवारिक रिश्तो मे उतार चढाव और कार्यक्षेत्र मे अत्याधिक महनत करने के संघर्ष को लेकर रहता है नींद से जुड़ी परेशानी भी बढ़ती है इस युक्ति के कारण,वहीं हड्डी और वायु विकार भी बढ़ते है.

व्यक्ति के धन पर
सूर्य और शनि की युक्ति वाले लोगो को धन संचय करने मे कोई परेशानी नहीं होती, अगर शुभ ग्रहो की स्थिति मजबूत है जन्म पत्रिका मे तो अपार धन संग्रह कर जीवन मे मजबूत आर्थिक स्थिति पाते है.
वहीं इस युक्ति के होते हुए, कुछ अशुभ ग्रहो का प्रभाव अगर अधिक होता है तो इस के विपरीत आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए बहुत अधिक संघर्ष करना पड़ता है बहुत प्रयासो की बाद जीविका मिल पाती है.

व्यक्ति के रिश्तो पर प्रभाव
सूर्य शनि की युक्ति के प्रभाव से व्यक्ति को लेकर बहुत सजग रहता, बहुत मुश्किल से मिलते जुलते है, भावुकता की कमी के कारण लोगो से जल्दी कनेक्ट नहीं हो पाते हैं
वहीं बड़ो के प्रति सेवा भाव अधिक होती है पर विचार मे भिन्नता के कारण सम्बन्धो मे तनाव रहता है.
इसी लिए इस युक्ति के कारण पिता पुत्र मे विरोध की संभवनाये भी बढ़ जाती है.

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