ऋणमोचक स्तोत्र: प्रतिदिन पढ़ें हनुमान जी का यह स्तोत्र, कर्ज से मिलती है मुक्ति

RinMochan Mangal Stotra

भक्ति के सबसे बड़े प्रतीक यदि कोई देवता माने जाते हैं तो वह हनुमान जी हैं ।

 

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भक्ति से ज्यादा इस कलयुग में कुछ भी शक्तिशाली नहीं है । और हनुमान जी ने भक्ति के द्वारा इस दुनिया की कई कई अनमोल चीजों को प्राप्त किया ।

यहां तक कि आठ सिद्धियां नौ निधियों को प्राप्त किया और चिरंजीवी होने का वरदान भी उन्होंने प्राप्त किया। और हनुमान जी की महिमा के बारे में जितनी व्याख्या की जाए और उनकी महिमा की व्याख्या की जाए वह बहुत ही कम है।

हनुमान जी कलयुग के सबसे प्रभावशाली देवता माने जाते हैं ।

जैसा कि शास्त्र कहते हैं हनुमान जी अजर और अमर हैं किसी भी काल से उनके ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और आज भी हनुमान जी जीवित है।

हनुमान जी पर अष्ट सिद्धियां और नौ निधियां हैं,। और साथ ही राम जी का भी उनके ऊपर आशीर्वाद है।

भगवान श्री राम जी की कृपा की वजह से और हनुमान जी की भक्ति की वजह से वे भक्तों के कष्टों को हराने में सक्षम हैं|

हनुमान जी की सबसे प्रमुख बात यह है कि इनकी पूजा तुरंत फलदाई है और हनुमान जी की पूजा सेवा करने से सभी प्रकार के कष्ट संकट दूर हो जाते हैं|

कर्ज से मुक्ति के लिए हनुमान जी का यह ऋण मोचन मंगल स्त्रोत का बेहद लाभकारी है ज्योतिष के अनुसार अगर आपकी कुंडली में मंगल दोष से पीड़ित हैं तो मंगलवार को इस स्त्रोत का पाठ करने से काफी फायदा मिलता है|

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मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।

स्थिरासनो महाकायः सर्वकर्मविरोधकः ॥१॥

लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः।

धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः॥२॥

अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः।

व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः॥३॥

एतानि कुजनामानि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्।

ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्॥४॥

धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।

कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्॥५॥

स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः।

न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्॥६||

अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल।

त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय॥७॥

ऋणरोगादिदारिघ्र्यं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः।

भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा॥८॥

अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः।

तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्क्षणात्॥९॥

विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा।

तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः॥१०॥

पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः।

ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः॥११॥ अडपपू

एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम्।

महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा॥१२॥

ऋणमोचक मंगल स्तोत्र हिंदी अर्थ 

 

सभी ब्राह्मणों के ऊपर कृपा करने वाले ऐश्वर्या को देने वाले पृथ्वी को आनंद देने वाले और संपूर्ण रोगों को दूर करने वाले और वर्षा करने वाले और बरसात को ना करके अकाल करने वाले तथा संपूर्ण काम के फल को देने वाले

 

अर्थात जो व्यक्ति 21 नामों को श्रद्धा पूर्वक पढ़ते हैं को ऋण कर्ज नहीं होता है और भी लोग शीघ्र ही धन को प्राप्त करते हैं पृथ्वी के गर्भ से उत्पन्न बिजली के सामान कांति से युक्त शक्ति को धारण करने वाले कुमार मंगल को मैं प्रणाम करता हूं|

 

जो लोग इस स्त्रोत का पाठ मनुष्य श्रद्धा से करते हैं उन पर मंगल की कृपा सदैव बनी रहती है हे प्रभु हम आप को शत-शत प्रणाम करते हैं आप हमारे ऋण या कर्ज को दूर करें दरिद्रता कर्ज शत्रु का भय को दूर करें

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हे प्रभु आप मुझे पर कृपा करो आप मुझे दारिद्र्य दुख और सभी प्रकार के कष्टों से दूर कर मुक्त करा दो इन 12 श्लोकों वाले ऋण मोचन मंगल स्त्रोत का जो भी व्यक्ति पाठ करता है उनको भरपूर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है|

क़र्ज़ मुक्ति सिद्ध स्तोत्र

इति श्रीस्कन्दपुराणे भार्गवप्रोक्तं ऋणमोचक मङ्गलस्तोत्रम् सम्पूर्णम्

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