Pitru Paksha (पितृपक्ष)
पितृपक्ष या पितरपख, १६ दिन की वह अवधि (पक्ष/पख) है जिसमें हिन्दू लोग अपने पितरों को श्रद्धापूर्वक स्मरण करते हैं और उनके लिये पिण्डदान करते हैं। इसे ‘सोलह श्राद्ध’, ‘महालय पक्ष’, ‘अपर पक्ष’ आदि नामों से भी जाना जाता है।[2] गीता जी के अध्याय ९ श्लोक २५ के अनुसार पितर पूजने वाले पितरों को, देेव पूजने वाले देवताओं को और परमात्मा को पूजने वाले परमात्मा को प्राप्त होते हैं।[3]अर्थात् मनुष्य को उसी की पूजा करने के लिए कहा है जिसे पाना चाहता है अर्थात समझदार इशारा समझ सकता है कि परमात्मा को पाना ही श्रेष्ठ है। अतः अन्य पूजाएं (देवी-देवता और पितरों की) छोड़ कर सिर्फ परमात्मा की पूजा करें।
वर्ष 2024 में पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध की तिथियां
पूर्णिमा का श्राद्ध – 17 सितंबर (मंगलवार)
प्रतिपदा का श्राद्ध – 18 सितंबर (बुधवार)
द्वितीया का श्राद्ध – 19 सितंबर (गुरुवार)
तृतीया का श्राद्ध – 20 सितंबर (शुक्रवार)
चतुर्थी का श्राद्ध – 21 सितंबर (शनिवार)
महा भरणी – 21 सितंबर (शनिवार)
पंचमी का श्राद्ध – 22 सितंबर (रविवार)
षष्ठी का श्राद्ध – 23 सितंबर (सोमवार)
सप्तमी का श्राद्ध – 23 सितंबर (सोमवार)
अष्टमी का श्राद्ध – 24 सितंबर (मंगलवार)
नवमी का श्राद्ध – 25 सितंबर (बुधवार)
दशमी का श्राद्ध – 26 सितंबर (गुरुवार)
एकादशी का श्राद्ध – 27 सितंबर (शुक्रवार)
द्वादशी का श्राद्ध – 29 सितंबर (रविवार)
मघा श्राद्ध – 29 सितंबर (रविवार)
त्रयोदशी का श्राद्ध – 30 सितंबर सोमवार)
चतुर्दशी का श्राद्ध – 1 अक्टूबर (मंगलवार)
सर्वपितृ अमावस्या – 2 अक्टूबर (बुधवार)
पितृ पक्ष में श्राद्ध का महत्व
पितृ पक्ष के दौरान पितरों के लिए सभी प्रकार के अनुष्ठान करने से पितृ दोष (Pitra Dosh) से मुक्ति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इससे जीवन मे परेशानियों का अंत होता है और सुख-समृद्धि बढ़ती है.