माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या – मौनी अमावस्या
अमावस्या तिथि – 28 जनवरी को रात 7 बजकर 35 मिनट से आरंभ होकर 29जनवरी को शाम 06:05 मिनट पर समाप्त होगी,
इस बार अमावस्या तिथि पर त्रिवेणी के तट पर अमृत स्नान मे असंख्य साधुओ, महात्माओ का एक साथ होना और मन्त्र उच्चारण का प्रवहा इस के महत्व को और बढ़ा देता है, आज के दिन तीर्थ जल से स्नान कर विशेष रूप से दान करना और अपने पितरो को याद करते हुए तर्पण कर उन के निमित्त दान करने से पितरो का आशीर्वाद प्राप्त होता है
पितरो की आत्मिक शांति और मोक्ष के लिए दीप दान करना भी श्रेष्ठ विधान है एक घी और एक तिल के तेल के दीपक मे काले तिल डाल कर, दिये मे बाती को दक्षिण दिशा की ओर कर ॐ पितृभ्यो नमः बोलते हुये जगाना चाहिए
पितरो की कृपा से जीवन मे उन्नति और सुखो मे वृद्धि होती है
ग्रह दोष,जन्म पत्रिका मे पितृ दोष निवारण के लिए
मौनी अमावस्या पर पीपल के वृक्ष का पूजन कर,सरसो के तेल का दीपक जगाना चाहिए – ग्रहो की अनुकूलता के साथ ग्रह दोष समाप्त होते है और पीला के वृक्ष मे त्रिदेव का वास होता है,
(ब्रह्मा, विष्णु और महेश)ब्रह्म देव शीर्ष,महादेव मध्य और भगवान विष्णु मूल मे निवास करते है, अमावस्या पर पीपल के वृक्ष पर दूध अर्पित करने से आरोग्यता संम्पनता के साथ शनि देव की कृपा से साढ़ेसाती के प्रभाव मे न्यूनता आती हैं,
जन्म पत्रिका मे दुर्बल चंद्र प्रभाव और राहु के नकारात्मक प्रभाव को खत्म करने के लिए मोनी अमावस्या पर भगवान शिव को बेलपत्र पर सफेद चंदन से ॐ लिख कर अर्पित करना श्रेष्ट रहता है,