सृष्टि में स्वर का संचार करने वाली ज्ञान की देवी माँ सरस्वती का प्रागट्य दिवस व ऋतुराज वसन्त के आगमन का दिन-बसंतपंचमी
माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी,सरस्वती जयंती के नामो से तो जाना जाता ही हैं पर इस दिन ज्ञान की देवी माँ सरस्वती के पूजन के साथ साथ माँ से उत्पन ज्ञान को घारण करने वाले ऋषि मुनि व गुरु के पूजन का भी विधान है। इसीलिए बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी के नाम से भी जाना जाता है ।
वसंत पंचमी पर ज्ञान और उत्साह के सूचक पीले रंग के वस्त्र माँ को अर्पित कर साधक स्वयं भी पीला रंग घारण कर माँ का पूजन पीले चंदन सफेद पुष्प और सुगन्ध से करें । और गाय के दूध से बनी खीर सरस्वती माँ को अर्पित करें ।आज के दिन वाद्य यंत्रों , धार्मिक ग्रंथों ,कलम और पाठ्य पुस्तकों का पूजन माँ के मंत्र के साथ पीले चंदन से स्वस्तिक बना कर और अक्षत अर्पित कर के करना चाहिए ।
कुशाग्र बुद्धि व वाणी दोष को दूर करने के लिए
आज गीली हल्दी से माँ सरस्वती के बीज मंत्र ” ॐ ‘ऐं’ “ आम के पत्ते पर लिख कर,पास में गंगा जल का पात्र रख कर और माँ के समक्ष बैठ कर
“ॐ ऎं सरस्वत्यै नमः “ मंत्र का 108 यानी एक माला जाप करें ।
जाप के बाद उस पत्ते को गंगा जल वाले पात्र में डाल कर रख दे । माँ की आरती कर पूजन सम्पन कर उस जल को प्रशाद स्वरूप में सभी ग्रहण करें खास तौर पर विद्यार्थी वर्ग ।
वाणी दोष के उपाय के रूप में भी इस जल को ग्रहण करना उत्तम रहता हैं।
हर तरह से शुभ समय- नयी शुरुवात का ।
आज के दिन बच्चों के पाटी पूजन से ले कर किसे भी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य की शुरुवात का समय होता है ।
आज के दिन शुरू किये गए कार्यो में निरंतर गति बानी रहती हैं । और माँ सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है । परिणय सूत्र में बंधने के लिए भी शुभ दिन माना गया हैं ।
देव गुरु बृहस्पति का ज्योतिषीय पृष्टभूमि पर आज देव गुरु बृहस्पति के प्रभाव से निर्मित अशुभ संयोग के निवारण व शुभता बढ़ाने हेतु आर्थिक सौभाग्यता और सम्पनता के लिए भगवान विष्णु का पूजन और पीले वस्त्र और पीले खाद्य पदार्थ का दान भी श्रेष्ट रहता हैं ।
ज्योतिषाचार्या
स्वाति सक्सेना श्रीएस्ट्रो