वैदिक ज्योतिष में, बृहस्पति (बृहस्पति) और राहु की युति, जिसे गुरु चांडाल योग के नाम से भी जानते हैं, ये योग सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के प्रभाव जीवन मे देते हैं
राहु, एक छाया ग्रह है, जिस का प्रभाव जीवन मे आवेग को बढ़ाता हैं, ये वह ऊर्जा हैं जो संतुलन मे रहने की आदि नहीं होती, इसी लिये जब भी किसी भी ग्रह को अपने प्रभाव मे लेती हैं राहु की ऊर्जा तो जीवन मे असंतुलन बढ़ता हैं जो विपरीत परिस्थियो को बढ़ा देता हैं
राहु इच्छाओं और अपरंपरागत सोच को बढ़ाता है, जबकि बृहस्पति ज्ञान और विस्तार का प्रतिनिधित्व करता है। और सात्विक ग्रह हैं ये इक्छाओ के साथ काबलियत भी बढ़ने की क्षमता रखता हैं
पर राहु के प्रवह से गुरु की युक्ति बड़े असंतुलन को जीवन मे ला सकती हैं,
सोचा कुछ करने कुछ जा रहेथे, पर अचानक से किसी प्रवह मे कुछ एसा होगया की काम होते होते रुक गया या बिगड गया,
गुरु चांडाल योग के शुभ, अशुभ प्रभाव और बचने के तरीके
यह संयोजन खराब स्वास्थ्य, मानसिक तनाव और रिश्तों में चुनौतियों का कारण बन सकता है, लेकिन आध्यात्मिक विकास, राजनीति में सफलता और एक अच्छा शिक्षक बनने की क्षमता भी रखता है।
खराब स्वास्थ्य, विशेषकर पाचन संबंधी समस्याएँ, और मानसिक तनाव।
भ्रम, अनिश्चितता और अनावश्यक बहस।
रिश्तों में कठिनाइयां और आवेगपूर्ण निर्णय।
वित्तीय अस्थिरता और हानि की संभावना।
संभावित सकारात्मक प्रभाव
आध्यात्मिक विकास और आध्यात्म की ओर झुकाव।
राजनीति एवं सार्वजनिक भाषण में सफलता।
एक अच्छा शिक्षक और मार्गदर्शक बनने की क्षमता।
धन और सौभाग्य की संभावना है ।
ज्ञान एवं बुद्धि में वृद्धि होगी।
निवारण
बृहस्पति-राहु युति दोष निवारण पूजा करने से नकारात्मक प्रभावों को बेअसर करने में मदद मिल सकती है। योग, ध्यान और विशिष्ट मंत्रों का जाप भी लाभकारी हो सकता है।
स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखने और नकारात्मक आदतों से बचने से नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद मिल सकती है।