vastu tips

वैशाख, श्रावण, कार्तिक, मार्गशीर्ष और फाल्गुन मास में करना चाहिये। इससे आरोग्य तथा धन-धान्य की प्राप्ति होती है। नींव खोदते समय यदि भूमि के भीतर से पत्थर या ईंट निकले तो आयु की वृद्धि होती है। यदि राख, कोयला, भूसी, हड्डी, कपास, लोहा आदि निकले तो रोग तथा दुःख की प्राप्ति होती है।

गृह का आकार
चौकोर तथा आयताकार मकान उत्तम होता है। आयताकार मकान की चौड़ाई की दुगुनी से अधिक लम्बाई नहीं होनी चाहिये। कछुए के आकार वाला घर पीडादायक है। कुम्भ के आकार वाला घर कुष्ठरोग प्रदायक है। तीन तथा छ: कोण वाला घर आयु का क्षयकारक है। पाँच कोण वाला घर संतान को कष्ट देने वाला है। आठ कोण वाला घर रोग उत्पन्न करता है। घर के किसी एक दिशा में आगे नहीं बढ़ाना चाहिये। यदि बढ़ाना ही हो तो सभी दिशाओं में समान रूप से बढ़ाना चाहिये। यदि घर वायव्य दिशा में आगे बढ़ाया जाय तो वात-व्याधि होती है। यदि वह दक्षिण दिशा में बढ़ाया जाय तो मृत्यु-भय होता है। उत्तर दिशा में बढ़ने पर रोगों की वृद्धि होती है।

मुख्य द्वार
मुख्य द्वार के सामने मार्ग या वृक्ष होने से गृहस्वामी को अनेक रोग होते हैं। कुआँ होने से मृगी तथा अतिसार रोग होता है। खम्भा एवं चबूतरा होने से मृत्यु होती है। बावड़ी होने से अतिसार एवं सन्निपात रोग होता है। कुम्हार का चक्र होने से हृदय रोग होता है। शिला होने से पथरी रोग होता है। भस्म होने से बवासीर रोग होता है। यदि घर की ऊंचाई से दुगुनी जमीन छोड़कर वेध वस्तु हो तो उसका दोष नहीं लगता।

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