चंद्रमा का विविध भाव में गोचर का फल 

 

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1. प्रथम भाव : भाग्योदय, उपहार प्राप्ति, धन लाभ, उत्तम भोजन, कार्य की सफलता।

2. द्वितीय भाव : मन में अस्थिरता, असंतोष, नेत्र विकार, व्यर्थ भागदौड़, अपव्यय।

3. तृतीय भाव : पराक्रम वृद्धि, धन लाभ, प्रसन्नता, सम्मान, उन्नति के अवसर मिलना

4. चतुर्थ भाव : दिनचर्या अस्तव्यस्त होना, व्यर्थ की भागदौड़ परिवार में विवाद, अनिद्रा

5. पंचम भाव : शोक, संतान से कष्ट, वायु विकार, धन हानि

6. षष्ठ भाव : धन लाभ, शत्रुओं पर विजय, पारिवारिक सुख-शांति, स्वास्थ्‍य लाभ

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7. सप्तम भाव : धन लाभ, यश, स्त्री व वाहन सुख, समस्या समाधान

8. अष्टम भाव : कष्ट, कार्य में बाधाएँ, धन ह‍ानि, अस्वस्थता

9. नवम भाव : अपयश, राज्य भय, व्यर्थ प्रवास, व्यापार में असफलता

10. दशम भाव : कार्य सिद्धि, सुख व लाभ की प्राप्ति, निरोगी काया

11. एकादश भाव : प्रसन्नता, धन लाभ, उत्तम भोजन व द्रव्य की प्राप्ति, परिजनों का सुख

12. द्वादश भाव : धन हानि, रोग, अपव्यय, दुर्घटना, वाद-विवाद

यदि चंद्रमा कुंडली में बलशाली हो तो उसके 2, 5, 8, 9, 12 में गोचर होने पर भी अशुभता कम होती है। शुक्ल पक्ष में चंद्रमा बली माना जाता है, कृष्ण पक्ष में भी नवमी तिथि तक चंद्रमा शुभ होता है। क्षीण या अस्त चंद्रमा दुख कारक माना जाता है।

कैसे जानें ‍राशिफल : चंद्रमा से प्राय: दैनिक कार्यों की शुभता देखी जाती है। माना कि आपकी राशि मेष है और सप्ताह भर में चंद्रमा कर्क, सिंह व कन्या राशि में भ्रमण कर रहा है, तो यह आपकी राशि से क्रमश: चौथे, पाँचवें व छठे भाव में भ्रमण करेगा। दिए गए भाव फलों के अनुसार फल की गणना करें व ‍इच्छित कार्य सफल होगा या नहीं, निर्धारित करें।

विशेष : यदि उक्त सप्ताह में कोई अन्य ग्रह अपनी राशि बदल रहा है तो उसका तात्कालिक प्रभाव भी राशिफल में गिना जाएगा।

 

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