वास्तु शास्त्र में उत्तर-पश्चिम दिशा को वायव्य कोण के रूप में भी जाना जाता है। यह दिशा बेहद महत्वपूर्ण है। चंद्रमा वायव्य दिशा के स्वामी ग्रह है और वायु देव इस दिशा के अधिपति हैं।
यह दिशा वायु के प्रवेश के लिए आदर्श स्थान है क्योंकि यह एक प्रकार से गर्म और ठंडे क्षेत्रों का मिलन बिंदु है
उत्तर-पश्चिम (North west) दिशा हमें दीर्घायु, स्वास्थ्य एवं शक्ति प्रदान करती है इस दिशा में oxygen की प्रचुरता होती है । और इसी दिशा का प्रयोग कर के घर मे वायु को संतुलित कर सकते हैं ।
कोई भी साधारण कंपास से आप अपने घर के उत्तर-पश्चिम के कोने को जान सकते हैं ।आज कल तो कंपास मोबाइल एप्प के माध्यम से भी आप जान सकते है।
कैसे करे दोष रहित -वायव्य कोण को इस दिशा को दोष रहित करें
इस दिशा की खिड़की दरवाजे खुले रखें । अगर किसी वजह से दिशा बाधित है । तो उस जगह ज्यादा से ज्यादा पौधे लागये
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तुलसी के पौधे ,
मनीप्लांट,
Aloe Vera
Snake Plant
Neem Tree
Orchids
Orange Gerbera
Christmas Cactus
लगाए ।
अगर कमरों में संभव नही है तो छत , टेरिस में वायव्य कोण में आप अपना oxygen center बना सकते हैं ।
इस से आप के घर पर oxygen युक्त हवा का दबाव बढ़ेगा । कुछ समय इसी दिशा में बैठ कर व्याम कर सकते हैं ।
गहरी सांस अंदर बाहर कर के अपने शरीरर में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ा सकते हैं । आप्त काल मे ये स्थान किसी वेंटीलेटर से कम कारगर सिद्ध नही होगा।
आध्यात्मिक रूप से वायव्य कोण के दोष को खत्म करने के लिए । भगवान शंकर को गंगाजल मिश्ररित कच्चे दूध को ॐ के उच्चारण के साथ अर्पित करना चाहिए।