वैशाख मास माहात्म्य

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वैशाख मास माहात्म्य


नक्षत्र मंडल में विशाखा 16वां नक्षत्र है । जिस के अधिपति देव गुरु बृहस्पति। धार्मिक कार्यो और उपासना के लिए श्रेष्ट माह है।
विशाखा नक्षत्र से संबंध होने के कारण इसको इस मास का नाम वैशाख है।

नव संवत्सर का ये दूसरा महीना है। वैशाख मास को भगवान विष्णु का प्रिय महीना कहा जाता है। कार्तिक, माघ और वैशाख के महीने वर्ष के सर्वश्रेष्ठ महीने माने जाते हैं।

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🙏🏻 वैशाख मास धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष – चारों पुरुषार्थों को देनेवाला है
🙏🏻 देवर्षि नारदजी राजा अम्बरीष से कहते हैं : ‘‘राजन् ! जो वैशाख में सूर्योदय से पहले भगवत्-चिंतन करते हुए पुण्यस्नान करता है, उससे भगवान विष्णु निरंतर प्रीति करते हैं ।”

इस मास में भक्तिपूर्वक किये गये दान, जप, हवन, स्नान आदि शुभ कर्मों का पुण्य अक्षय तथा सौ करोड़ गुना अधिक होता है। – पद्म पुराण)
वैशाख के महीने में कई महत्वपूर्ण त्यौहार, पर्व और व्रत पड़ते हैं। ।

इस महीने में धन प्राप्ति और पुण्य प्राप्ति के कई अवसर आते हैं. मुख्य रूप से इस महीने में भगवान विष्णु, परशुराम और देवी की उपासना की जाती है.


केवल एक बार श्री बांके बिहारी जी के चरण दर्शन भी इसी महीने में होते हैं.शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा उपासना का विधान है। साथ ही अक्षय फल प्रदायक अक्षय तृतीया का पर्व आता हैं ।

त्रिदेव को प्रसन्न कर सकते हैं मात्र जलाभिषेक से वैशाख मास में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और मेहश की पूजा का विशेष पुण्य मिलताहै.ऐसा वैशाख मास में ब्रह्मा जी, भगवान विष्णु और भगवान शिव पूजा से बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं.और इस मास में सिर्फ जल देने मात्र से ही त्रिदेव प्रसन्न हो जाते हैं.
🌷 वैशाख मास की सावधानियां
वैशाख महीने में खान-पान इस महीने में गर्मी की मात्रा लगातार तीव्र होती जाती है. इसलिए तमाम तरह की संचारी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. इस महीने में जल का प्रयोग बढ़ा देना चाहिए और तेल वाली चीजें कम से कम खानी चाहिए. जहां तक संभव हो सत्तू और रसदार फलों का प्रयोग करना चाहिए और देर तक सोने से भी बचना चाहिए.

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🌷वैशाख मास में दान
इस महीने में गर्मी की तीव्रता के कारण जल का दान सर्वश्रेष्ट बताया गया है ।
वैशाख मास के नियम
वैशाख के महीनों में कुछ नियमों का पालन करना चाहिए. ये नियम क्या हैं, आइए जानते हैं-

  • सुबह जल्दी उठना चाहिए.
  • सूर्योदय से पूर्व स्नान करना चाहिए.
  • भगवान विष्णु, ब्रह्मा जी और भगवान शिव को जल चढ़ाना चाहिए.
  • दान आदि के कार्य करने चाहिए.
  • पक्षियों के लिए जल की व्यवस्था करें.
  • प्याऊ की स्थापना कराएं.
  • घर के बाहर जल से भरे पात्र रखें.
  • छाता आदि का दान करना चाहिए.

 

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