विश्व का सब से बड़ा धार्मिक आयोजन – 13 जनवरी पौष पूर्णिमा महाकुंभ की शुरुवात
कुंभ – यानी समस्त शुभ ऊर्जाओं का व्याप्त होना और एक जगह एकत्र होन, इस समय ग्रहो के विशेष मंत्रिमंडल के आधीन अमृत प्राप्त भूमि पर अमृत पूर्ण जल मे स्नान कर जप और तप और विशेष अनुष्ठान आरम्भ होंगे
कुंभ भी चार प्रकार का होता है
1)कुम्भ 2) अर्ध कुम्भ 3) पूर्ण कुम्भ 4) महा कुम्भ
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कुंभ – प्रत्येक तीन वर्षों में प्रयाग, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन मे लगता है इस तरह 12 साल में चार बार कुंभ का आयोजन होता है
अर्थ कुंभ प्रत्येक 6 साल में एक बार होता है। इस का आयोजन प्रयागराज और हरिद्वार में ही होता हैं
पूर्ण कुंभ – प्रत्येक 12 साल बाद होता है। यह प्रयागराज, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन में होता है। पूर्ण कुंभ का स्थान ग्रह स्थितियों के आधार पर निर्धारित होता है
12 साल के बाद, – ग्रह स्थिति के अनुसार ही पूर्ण कुंभ का स्थान निधारित होता है।
हरिद्वार में कुंभ लगता हैजब बृहस्पति देव कुभ राशि में और सूर्य मेष राशि मे गोचर करते है। |
प्रयागराज में कुंभ लगता है।प्रयाग राज में कुम्भ लगता है जब सूर्य मकर राशि में और देव गुरु वृष राशि में होते हैं। |
नासिक में कब कुम्भ लगता हैजब नासिक में कुम्भ लगता है। जब देवगुरु ब्रहस्पति सिंह राशि में गोचर कर रहे होगे |
उज्जैन में कुम्भ लगता हैजब सिंह राशि में देव गुरु बृ० और सूर्य मेष राशि में हो |