देव प्रबोधिनी एकादशी, देव प्रबोधिनी एकादशी को भगवान विष्णु 4 माह बाद योगिनिंद्रा से

देव प्रबोधिनी एकादशी ekadashi

कार्तिक माह शुक्ल पक्ष प्रबोधिनी एकादशी, इस दिन चार महा से रुके मंगलिक कार्य , भगवान श्री हरी के योग निद्रा से जागते ही आरम्भ हो जाते हैं.
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उदिया तिथी के आधार पर 12 नवंबर को एकादशी व्रत और 13 को पारण किया जाएगा
आज भगवान विष्णु चार महा की योगनिद्रा के बाद जागते है, इस लिए बड़े हर्ष से चातुर्मास की समाप्ति के बाद मंगलिक कार्य आरम्भ होते है, मांगलिक कार्यो की शुरुवात भगवान के विवहा से करते है
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tulsi vivah

आज के दिन
भागवान विष्णु के शालिग्राम स्वरुप का विवाह माँ लक्ष्मी के तुलसी स्वरुप से किये जाने का विधान है
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वैवाहिक अड़चने दूर होती है
ऐसे मे 12 नवंबर को भगवान को हल्दी युक्त दूध से स्नान करा के पीले लाल वस्त्र अर्पित करे और माँ तुलसी को सुहाग का समान और लाल चुनरी अर्पित करने से जीवन मे आरही वैवाहिक अड़चने दूर होती है
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नकारात्मक शक्तिया होती है दूर
वहीं देव उठाते समय शंक नाद घर की समस्त नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करता है
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दीप दान से अर्थिक उन्नती
शाम के समय माँ तुलसी के पास गोबर या आटे का बना ,देशी घी का दिया जगाने से आर्थिक उन्नति के साथ सौभाग्य मे वृद्धि होती है
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आज का दिन अभूज मुहूर्तो मे से एक है श्री हरी के जागने और सृष्टी का संचालन अपने हाथ मे लेते ही विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे सभी शुभ काम पुन: शुरू हो जाते हैं.

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती
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सुख मे वृद्धि, ग्रह दोषों की समाप्ति के साथ मोक्ष प्राप्त होता हैं
आज के दिन भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी के सामने विष्णुसह्स्त्र नाम का पाठ करने और श्रीमद भगवत के महात्म का पाठ कर यथा शक्ति दान करने से सुख मे वृद्धि, ग्रह दोषों की समाप्ति के साथ मोक्ष प्राप्त होता हैं

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ज्योतिषाचार्या – स्वाति सक्सेना

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